मेरे सभी गैर मुस्लिम भाइयों और बहनों,
कुछ समय पहले तक हिन्दू-मुस्लिम और दुसरे धर्मों के अनुयायी सब आपस में भाईचारे
के साथ रहते थे.दुःख तकलीफ में एक दुसरे की सहायता करते थे.लेकिन पिछले कुछ वर्षों
से गैर मुस्लिम समुदाय का इस्लाम और मुसलामानों के प्रति व्यवहार कुछ बदल सा गया है.
विशेष तौर से नई पीढ़ी का इस्लाम और मुसलमानों के प्रति व्यवहार बहुत हद तक अच्छा नहीं है.
वो इस्लाम को आतंकवाद समर्थक,हिंसक,रुढ़िवादी और नारी के साथ अन्याय करने वाला धर्म
कहते हैं.ऐसा नहीं है कि सभी गैर मुस्लिम इस्लाम के बारे में ऐसा सोचते हैं.आज भी एक बड़ी
संख्या इस्लाम का सम्मान करते हैं और इस्लाम की शिक्षाओं का आदर करते हैं.वो अपने धर्म पर
रहते हुए भी इस्लाम के बारे में अच्छा विचार रखते हैं.लेकिन आज की नई पीढ़ी को इस्लाम की
सही जानकारी न होने के कारण वो इस्लाम के बारे में गलत धारणाएं रखते हैं.इसके पीछे कुछ कारण
भी है जिनमें मुख्य कारण है आतंकवाद.हम भी मानते हैं कि आज हमारे देश की मुख समस्या है
आतंकवाद.और ज्यादातर आतंकी हमले मुस्लिम संगठनों की तरफ से होते हैं.लेकिन इसमें इस्लाम
का कोई कसूर नहीं है.इन आतंकवादियों का इस्लाम से कोई सम्बन्ध नहीं है.ये बेक़सूर लोगों का खून
बहाने वाले इस्लाम के अनुयायी हो ही नहीं सकते.इस्लाम तो आतंकवाद,हिंसा और दंगे फसाद का पूरी
से तरह विरोध करता है.इन नामनिहाद गलत किस्म के मुसलमानों के कारण विश्व के सभी मुसलमानों
और इस्लाम को दोषी ठहराना कहाँ तक उचित है?ऊपर से मीडिया भी इसको इस्लामी आतंकवाद का नाम
देकर इस्लाम को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.
इसके अलावा भी लोगों के मन में बहुत सी गलत धारणाएँ भरी हुई है और वो इस्लाम और
मुसलामानों को घृणा की नज़र से देखते हैं.जबकि इस्लाम कोई ऐसी शिक्षा नहीं देता जिससे
किसी को जरा भी कष्ट पहुंचे.इस्लाम का तो अर्थ ही अमन और शान्ति है और इस्लाम तो इस
दुनिया में आया ही अमन व शान्ति के लिए और बुराई को मिटाने के लिए और अच्छाई को
फैलाने के लिए.फिर वो कैसे अपने अनुयायिओं को आतंकवाद,हिंसा और इन जैसी दूसरी
बुराइयों की शिक्षा दे सकता है.
आम भारतीय मुसलमान तो आपसे यही चाहता है कि आप ईमानदारी से इस्लाम का अध्ययन
करें और फिर इस्लाम के बारे में अपनी राय कायम करें.हम ये नहीं चाहते कि आप अपने धर्म को
छोड़ कर इस्लाम को अपना लें.हम तो बस यही चाहते हैं कि आप इस्लाम के बारे में सही जानकारी
प्राप्त करें और जो गलतफहमियां और गलत धारणाएँ आप के मन में है उनको त्याग दें.और इस्लाम
के बारे में अच्छे विचार रखें.
इसी उदेश्य से मैंने एक छोटी सी कोशिश की है ब्लॉग के माध्यम से इस्लाम की सही तस्वीर और
सही जानकारी आप तक पहुंचाने की.इस ब्लॉग में आपको कोई ऐसी बात नहीं मिलेगी जो किसी
विशेष धर्म की भावनाओं को आहत करे.मैं आप सब पाठकों से निवेदन करता हूँ कि आप सब मेरी
इस कोशिश में पूर्ण सहयोग देंगे.
10 comments:
Badhiya koshish hai.
बहुत अच्छा प्रयास है रफीक भाई.
हमारे ब्लॉग पर भी visit करें.
http://islamhindi.com
nice
Hindi blogjagat men apka svagat karate huye harsh ho raha hai. shubhkamnayen.
subhan allah hindu musim or sabhi dharm ke log allah ke bande hye or sabhi hidayat ke hakdar hye ye allah ki marji hye jise chahe de
वाह रफीक भाई
वाह रफीक भाई
वाह रफीक भाई
बहुत ही अच्छी तरह से आप ने बताया है
सच है की जिनकी सोच इस्लाम के बारे मैं गंदी है
वो हमेशा अपनी गंदी सोच का ही प्रमाण देगा ।।
इनका मुद्दा हमेशा से इस्लाम को नीचा दिखाना और
ईस्लाम का नेगेटिव प्रमोशन करना ही है ।
दुनिया जानती है की मुसलमानों के दिलो में
पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) की क्या इज़्ज़त क्या रुतबा है
जिनको खुदा ने सारी इंसानियत के लिए शांति और
अमन का दूत बनाकर कर भेजा था उनकी शान में
बार बार गुस्ताखी करना किस बहादुरी का नाम..
पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल.) के खिलाफ़ की गई टिप्पणी देश का
वातावरण बिगाड़ने का प्रयास है .जो गन्दी मानसिकता दर्शाती है
अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात करने वालो ।।
आज़ादी का ये मतलब नही के किसी भी धर्म की आस्था
को ठेंस पहुंचाई जाए आज़ादी तो यह है के सच को सच
लिखा जाए बोला जाए।
अगर दम है तो इजराइल के ज़ुल्मो की दास्ताँ बारे में बोलो ।।
अगर दम है तो मज़लूमो की चीख पुकार के बारे में आवाज उठाओ।।
अगर शर्म है तो सीरिया के हालात के बारे में बोलो ।।
अगर इंसानियत है तो अमरीका के बर्बरता इराक़ पर बोलो ।।
अगर दिल है तो फलस्तीन की माओं का दर्द सुनाओ ।।
अगर दर्द है तो गुजरात आसाम के किस्से ब्यान करो ।।
यह है अभिव्यक्ति की आज़ादी..
किसी धर्म के बारे मैं गलत भाषा इस्तेमाल करना नहीं
।
लेकिन यह जो दोहरी मानसिकता के लोग है वो एक तरफ़ा ही बोलते लिखते थे
और बोलते लिखते रहेंगे लेकिन सच कभी नही बोलेंगे ।।
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