Sunday, April 25, 2010

इस्लाम धर्म के प्रमुख स्रोत

इस्लाम के मूल स्रोत दो है पहला कुरआन और दूसरा हदीस.

कुरआन का संक्षिप्त परिचय
इस्लाम का सबसे प्रमाणित स्रोत 'कुरआन' है.कुरान ईश्वरीय ग्रन्थ है.कुरआन लगभग 1500 साल
पहले ईश्वरके पैगम्बर मुहम्मद सल्ल: पर थोडा थोडा करके 23 साल के अरसे में पूरा अवतरित
हुआ. कुरान समस्त मनुष्यों के हित व मार्गदर्शन के लिए अवतरित हुआ.कुरआन मुख्य रूप से
एक ईश्वर की इबादत(उपासना) और ईश्वर के सभी आदेशों का पालन करने का सन्देश देता है.
कुरआन मुख्य रूप से ईश्वर के आदेशों पर आधारित है.कुरआन में ये कहा गया है कि नमाज़
पढो,रोज़ा रखो लेकिन ये नहीं बताया गया कि नमाज़ किस तरह पढनी है या रोज़ा किस तरह
रखा जाए इन बातों के लिए हदीस की आवश्यकता पड़ती है.

हदीस का संक्षिप्त परिचय
कुरआन के बाद 'हदीस' इस्लाम का सबसे प्रमाणित स्रोत है. पैगम्बर मुहम्मद सल्ल: लोगों को जो
उपदेश देते थे उनको उनके शिष्य लिख लिया करते थे और जिन शिष्यों की स्मरण शक्ति तेज थी
वो इन उपदेशों को कंठस्थ कर लिया करते थे. फिर इस्लाम के बड़े बड़े विद्वान जिनको इमाम कहा
जाता है ने इन सब उपदेशों को जिनको हदीस कहा जाता है को एक जगह पुस्तक के रूप में संग्रह
कर दिया.हदीस की प्रमुख पुस्तकें छ: है जो इन्ही विद्वानों के नाम से जानी जाती है.वो छ:पुस्तकें
ये है-१.बुखारी शरीफ २.मुस्लिम शरीफ ३.सनन निसाई ४.सनन अबू दाउद ५.सही तिरमिज़ी और
६.इब्ने माजा. इन छ: पुस्तकों के अलावा भी कुछ और पुस्तकें है जो इनसे बहुत मिलती जुलती है.

कुरआन और हदीस के अलावा एक और स्रोत है जिसे फिकह (धर्मशास्त्र) कहते हैं.फिकह कुरआन
और हदीस से अलग नहीं है बल्कि ये कुरआन और हदीस की ही व्याखा है.कुरआन और हदीस को
गहराई से समझने के लिए फिकह की आवश्यकता पड़ती है.

कुरआन और हदीस के अलावा जितनी भी मशहूर पुस्तकें इस्लाम में मान्य है वो सब कुरआन और
हदीस को ध्यान में रख कर ही लिखी गयी है.

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